प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों की लगभग 98 फीसदी पेयजल व्यवस्था भू-जल स्त्रोतों पर आधारित है। विगत कई वर्ष से भू-जल स्तर में हो रही निरंतर गिरावट को देखते हुए राज्य सरकार ने ग्रामीण पेयजल समस्या के स्थायी समाधान के लिए पिछले एक साल में सतही जल स्त्रोतों पर आधारित समूह जल प्रदाय योजनाओं को प्राथमिकता दी है। प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में 'हर घर नल से जल'' योजना लागू कर दी गई है। अब ग्रामीण माता-बहनों को पानी के लिये नदी, तालाब, कुआँ, बावड़ी के चक्कर लगाने से मुक्ति मिल गई है।
नई पेयजल नीति में छोटे और दूर-दराज के गाँवों को प्राथमिकता दी गयी है। इन गाँवों में नल-जल योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए नीति को सरल बनाया गया है। जिन बसाहटों में गर्मी के मौसम में 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के मान से पेयजल उपलब्ध नहीं हो पाता है, उनमें नये हैण्डपम्प लगाए जायेंगे। पहले किसी भी बसाहट के 500 मीटर के दायरे में न्यूनतम एक शासकीय पेयजल स्त्रोत उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जगह नई पेयजल नीति में न्यूनतम 300 मीटर के दायरे में कम से कम एक शासकीय पेयजल स्त्रोत उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है। हैण्डपम्प स्थापना में ग्रामों के चयन में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति बहुल ग्रामों को प्राथमिकता दी जा रही है। अब गर्मी के मौसम में पेयजल की समस्या से त्रस्त रहने वाले बड़े गाँवों के साथ छोटे गाँव भी नल-जल योजना के क्रियान्वयन से लाभान्वित हो सकेंगे।